भंग पी के हो गया भोला मस्त मलंग नी bhang pe ke ho gaye bhole mast mangal ni

काजू मिशरी मेवे पाके गौरा ने रगड़ी भंग नी,
भंग पी के हो गया भोला मस्त मलंग नी,

भंग प्याला घट घट करके पी गया भोला शंकर,
भंग दी भुटटी पी के कहंदा कंडा लगे न कंकर,
धरती गगन पताल नी ऑडियो रंग गे शिव दे रंग नी,
भंग पी के हो गया भोला मस्त मलंग नी,

डमरू वजे नंदी नाचे नचन शिव घन सारे,
पारवती माँ नाल कार्तिके गणपति लें नजारे,
कैलाश हिमालया पर्वत ते आज बज दी मिरदंग नी,
भंग पी के हो गया भोला मस्त मलंग नी,

जो जोगी पी भंग प्याले त्यों त्यों रेहमत बरसे,
चरना दी मोह खातिर मांगी दा दिल तरसे,
भेत वालिया नु कोई दसदो कुलविंदर नु कोई आके दसदो,
शिव नु मनाउन दा ढंग नी ,
भंग पी के हो गया भोला मस्त मलंग नी




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