मन्दिर मे रहते हो भगवन Mandir Mei Rehte Ho Bhagwan



मन्दिर मे रहते हो भगवन
कभी बाहर भी आया जाया करो
मैं रोज़ तेरे दर आता हूँ
कभी तुम भी मेरे घर आया करो
मन्दिर मे रहते हो भगवन
मै तेरे दर का जोगी हूँ
हुआ तेरे बिना वियोगी हूँ
तेरी याद मे आसूं बहते हैं
इतना ना मुझे तडपाया करो
मैं रोज़ तेरे दर आता हूँ
कभी तुम भी मेरे घर आया करो
मन्दिर मे रहते हो भगवन
आते क्यों मेरे नजदीक नहीं
इतना तो सताना ठीक नहीं
मैं दिल से तुमको चाहता हूँ
कभी तुम भी मुझे अपनाया करो
मैं रोज़ तेरे दर आता हूँ
कभी तुम भी मेरे घर आया करो
मन्दिर मे रहते हो भगवन
मैं दीन हूँ, दीनानाथ हो तुम
सुख़ दुःख मे सब के साथ हो तुम
मिलने की चाह खामोश करें
कभी तुम भी मिला-मिलाया करो
मैं रोज़ तेरे दर आता हूँ
कभी तुम भी मेरे घर आया करो
मन्दिर मे रहते हो भगवन
मन्दिर मे रहते हो भगवन
कभी बाहर भी आया जाया करो

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